उपचुनावों को चुनाव से पहले सेमीफाइनल कहा जाता है. लेकिन हाल ही में हुए उपचुनावों के नतीजे सत्तारूढ़ दल बीजेपी के लिए अच्छे नहीं रहे. कुछ राज्यों को छोड़ दिया जाए तो बीजेपी का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा, खासतौर पर हिमाचल प्रदेश में. हिमाचल प्रदेश में बीजेपी सत्ता में है लेकिन यहां पार्टी का प्रदर्शन बेहद ही निराशाजनक रहा. सत्ताधारी बीजेपी सूबे में एक लोकसभा सीट मंडी और तीन विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में कोई भी सीट हासिल नहीं कर पाई.
विधानसभा क्षेत्र फतेहपुर, अर्की और जुबल-कोटखाई में भी बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा. जिसके बाद इस उपचुनाव के नतीजों को बीजेपी के लिए खत’रे की घंटी माना जा रहा है. रणनीतिकारों का कहना है कि बीजेपी को यह संकेत समझकर और मेहनत करने की जरूरत है.
कांग्रेस को मिली शानदार जीत
कुछ ही महीनों बाद कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे है, जिसे लेकर सभी पार्टियां तैयारी में जुटी हुई है. इसमें यूपी, उत्तराखंड और पंजाब के विधानसभा चुनाव बेहद ही अहम है. इसके साथ ही गोवा और मणिपुर में भी जनता सरकार चुनेगी.
भारतीय जनता पार्टी पिछले सात सालों से केंद्र की सत्ता में काबिज है. वहीं जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने है उनमे से यूपी और उत्तराखंड में भी बीजेपी ही सत्ताधारी पार्टी है.
केंद्र और सूबे दोनों जगह एक ही दल की सरकार होने से ऐसा माना जाता है कि सत्ताधारी पार्टी को चुनाव में फायदा मिलेगा. लेकिन हिमाचल प्रदेश में हुए उपचुनाव के नतीजे इसके बिल्कुल उल्ट रहे हैं.
सूबे की तीनों विधानसभा सीटों पर जनादेश कांग्रेस पार्टी के पक्ष में रहा है. इतना ही नहीं लोकसभा क्षेत्र मंडी में भी कांग्रेस को जीत मिली है. यह जीत और भी विशेष इसलिए क्योंकि मंडी सूबे के के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का गृह जिला है.
महंगाई बनी हा’र का कारण- सीएम ठाकुर
वहीं जुबल-कोटखाई सीट पर तो बीजेपी को और भी करारी हाल झेलनी पड़ी है. यहां बीजेपी उम्मीदवार नीलम सेराइक अपनी जमानत भी नहीं बचा पाई, उन्हें महज 2,644 वोट मिले. सेराइक को पार्टी के बागी के हाथों हार का सामना करना पड़ा. वहीं फतेहपुर और अर्की सीटें को कांग्रेस बचाने में सफल रही है.
वहीं सूबे में पार्टी की करारी शिकस्त पर सीएम जयराम ठाकुर ने विपक्ष द्वारा महंगाई के मुद्दे को जोरशोर से उठाने को जिम्मेदार ठहराया है. ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस ने महंगाई को हथि’यार बनाया, जो उपचुनाव में एक मुद्दा बना. लेकिन महंगाई एक वैश्विक मुद्दा है, इन सब से हमारा नुकसान हुआ. हम आत्मावलोकन करेंगे.