रूस के यूक्रेन पर जारी हम’ले के विरो’ध में दुनिया भर से आवाजें तेज होती जा रही है. कई देश रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने की घोषणा कर चुके है. इसके साथ ही रूस के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंधों का दायरा लगातार बढ़ता ही जा रहा है. एक तरफ कई देश प्रतिबंधों की घोषणा कर रहे है तो वहीं इस मामले में निजी कंपनियां भी पीछे नहीं रह रही है.
आर्थिक रूप से रूस की कमर तोड़ने के लिए कई नामी कंपनियों ने रूस में काम नहीं करने का ऐलान किया है. इस लिस्ट अब तक मैकडॉनल्ड्स, स्टारबक्स और जनरल इलेक्ट्रिक के साथ कोका-कोला और पेप्सिको का नाम भी जुड़ गया है.
कोका-कोला और पेप्सिको ने रूस में किया काम बंद
कोका-कोला और पेप्सिको ने यूक्रेन पर हमले के विराध में रूस में अस्थायी समय के लिए करोबार को बंद करने का ऐलान किया है.
वैश्विक ब्रांड और अमेरिकी कॉरपोरेट की प्रतीक वाली इन सभी कंपनियों ने ऐलान किया है कि यूक्रेन पर रूस द्वारा किए जा रहे हमले के जवाब में हम अपने व्यवसाय को अस्थायी तौर पर निलंबित कर रहे हैं.
वहीं इससे पहले जर्मन स्पोर्ट्स वियर निर्माता एडिडास, अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा कंपनी शेल, सौंदर्य प्रसाधन कंपनी एस्टी लाडर व केल्विन क्लेन ने भी रूस में अपनी सभी गतिविधियों को बंद करने की घोषणा की है.
कार निर्माता फाक्सवैगन ने कई हाइब्रिड माडलों के आर्डर लेना बंद कर दिए है. इसके अलावा रूस में 850 रेस्तरां संचालित करने वाली मैक्डोनाल्ड ने भी अपने सभी रेस्तरां बंद करने का ऐलान किया है.
इसी बीच अमेरिका और उसके कुछ सहयोगियों ने रूस से आने वाले तेल, प्राकृतिक गैस और कोयले के आयात पर रोक लगा दी है. ब्रिटेन ने भी रूस से तेल और तेल उत्पादों का आयात इस साल के अंत तक चरणबद्ध तरीके से बंद करने का ऐलान किया है.
रूस ने दी तेल निर्यात पर प्रतिबंध की चेतावनी
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस साल के आखिर तक यूरोपीय संघ भी रूसी गैस पर अपनी दो तिहाई निर्भरता घटा’ने का मन बना चुका है.
बता दें कि यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने भी रूसी तेल आयात में कटौती करने के लिए अमेरिका व पश्चिमी देशों से कई बार अनुरोध किया था.
खबरोंं के अनुसार रूस से आयात पर लगते प्रतिबंधों के बीच रूस ने भी तेल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दी है.
जर्मनी द्वारा नार्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन का काम राेकने पर रूसी उप प्रधानमंत्री एलेक्जेंडर नोवाक ने कहा कि अगर रूस से तेल आयात पर अमेरिका व उसके सहयोगी देशों द्वारा प्रतिबंध लगाया जाता है तो कच्चे तेल की कीमत प्रति बैरल 300 डालर को पार पहुंच जाएगी.