मध्यप्रदेश: राज्य में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले है. चुनावों से पहले ही बीजेपी ने बड़े वर्गों को साधने की कवायद शुरू कर दी है. इसी कड़ी में बीजेपी सूबे के किसान वर्ग को अपनी तरफ करने के प्रयासों में जुट गई है. इसी कड़ी में मोदी सरकार कृषि कानून की वापसी के बाद किसानों को लुभाने के लिए एक और योजना लागू करने जा रही है. केंद्र और राज्य की बीजेपी सरकार किसानों को लेकर कई योजनाएं बना रहे है.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मोदी सरकर ने अब किसानों के लिए एक नई योजना मेरी पॉलिसी मेरे हाथ नाम से लाँच करने का प्लान बना रही है. इसे एक कार्यक्रम के दौरान पेश किया जाएगा और इसमें किसानों को पीएम फसल बीमा योजना के कागजात दिए जाएंगे.
किसानों को मानाने में जुटी है बीजेपी?
द इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक खबर के मुताबिक केंद्र की मोदी सरकर ने किसानों की मांग को मानते हुए पिछले साल नवंबर महीने में कृषि कानून वापस लेने का ऐलान किया था.
इसके बाद भी किसानों में सरकार के प्रति नाराजगी बनी हुई है. ऐसे में अब सरकार देशभर के किसनों तक बड़े स्तर तक पहुंचने का प्लान तैयार कर रही है.
इसी कड़ी में कृषि मंत्रालय ने किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के कागजात देने के लिए एक योजना तैयार की है. मेरी पालिसी मेरे हाथ नाम के एक कार्यक्रम के तहत देशभर के किसानों को उनकी पॉलिसी के कागज दिये जाएंगे.
खासबात यह है कि यह योजना देशभर में लागू की जाएगी और इसकी शुरुआत मध्यप्रदेश से की जाएगी. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर अपने गृह राज्य से कृषि मंत्रालय के एक कार्यक्रम का आगाज करेंगे.
बताया जा रहा है कि अपने तय कार्यक्रम के तहत कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर शनिवार को इंदौर पहुंच कर एक जनसभा में इसे लाँच करेंगे.
चुनावों से पहले कृषि बिल की वापसी
आपको बता दें कि कार्यक्रम में शामिल होने के लिए कृषि मंत्रालय ने करीब 25 हजार किसानों को भी आमंत्रित किया है. इस कार्यक्रम को किसान हित में काफी अहम माना जा रहा है, दरअसल अगले साल मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव है और यह कार्यक्रम काफी प्रभाव डाल सकता है.
आपको बता दें कि बीते साल नवम्बर में केंद्र की मोदी सरकार ने एक साल से ज्यादा वक्त से आंदोलन कर रहे किसानों की मांग को मानते हुए कृषि कानून वापस लेने का फैसला लिया था.
मोदी सरकार ने यह फैसला पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों की तारीखों के ऐलान से ठीक पहले लिया था. राजनीति विशेषकों के मुताबिक अगर बीजेपी सरकार यह बिल वापस नहीं देती तो चुनावों में उसे काफी नुकसान उठाना पड़ सकता था.