गुरुग्राम में नमाज़ को लेकर विवा’द लगातार गहराता ही जा रहा है. खुले में नमाज़ अदा करने के मामले को लेकर खूब राजनीति की जा रही है. इसी बीच गुरुद्वारों के एक स्थानीय संघ ने गुरुद्वारे के द्वार ने नमाज़ के लिए खोलने का ऐलान किया है. टाइम्स ऑफ़ इंडिया में प्रकाशित खबर के मुताबिक पिछले कुछ वक्त से कुछ स्थानीय लोग और कुछ दक्षिणपंथी संगठन गुरुग्राम में खुले में नमाज़ का जमकर विरो’ध कर रहे है.
जिसके चलते शुक्रवार की नमाज़ के लिए पहले जिन स्थानों पर नमाज़ की अनुमति थी उनमें से अधिकांश के लिए अनुमति को रद्द कर दिया गया है. जिसके बाद एक स्थानीय गुरुद्वारा संघ ने ऐलान किया है कि गुरुद्वारे में शुक्रवार की नमाज़ की अनुमति प्रदान करेंगे.
गुरुद्वारा गुरु का दरबार है, यहां कोई भी आ सकता हैं
गुरुद्वारा सिंह सभा समिति ने यह घोषणा की है, इस संगठन के तहत पाँच गुरुद्वारे आते हैं. जिनमें से एक गुरुद्वारा सदर बाज़ार सब्ज़ी मंडी में स्थित है, एक मेदांता के पास सेक्टर 39, एक जैकबपुरा में, एक मॉडल टाउन में और एक सेक्टर 46 में मौजूद हैं.
इस मामले को लेकर समिति ने कहा कि हम प्रशासन से अनुमति मांगेंगे कि मुस्लिम समुदाय को शुक्रवार की नमाज़ गुरुद्वारे में अदा करने की अनुमति दी जाए. समिति के एक मेंबर हैरी सिंधु ने कहा कि मुस्लिमों के खुले में नमाज़ अदा करने का विरो’ध होना बेहद ही दुखद हैं.
उन्होंने कहा कि हर किसी के लिए हमारे गुरुद्वारे के द्वार हमेशा खुले रहते है, अगर मुसलमानों को नमाज़ अदा करने के लिए जगह खोजने में कोई प्रॉब्लम आ रही है तो हम उनका दिल से स्वागत करते है, वे अपनी प्रार्थना गुरुद्वारे में आकर कर सकते हैं.
उन्होंने कहा कि एक वक्त में हर हर गुरुद्वारे में हज़ारों लोग आ सकते हैं लेकिन समिति कोरोना गाइडलाइन्स के चलते छोटे-छोटे समूहों को ही गुरुद्वारे में आने की अनुमति दे सकती हैं. समिति के एक अन्य सदस्य शेर दिल सिंह ने कहा कि गुरुद्वारा का मतलब होता हैं गुरु का दरबार.
गुरुद्वारा समिति के फैसले का किया स्वागत
उन्होंने आगे कहा कि जहाँ पर कोई भी आकर अपनी प्रार्थना कर सकता है. अगर मुसलमान भाइयों को नमाज़ अदा करने में मुश्किल हो रही है तो हम उन्हें गुरुद्वारे में जगह और हॉल प्रदान करेंगे. मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के चेयरमैन ख़ुर्शीद रजाका ने गुरुद्वारा समिति की घोषणा का स्वागत किया है.
उन्होंने कहा कि सिख समुदाय से हर किसी को प्रेरणा लेना चाहिए और दूसरे मज़हब का अनुसरण करने वालों की मदद करना चाहिए जिससे वो अपने धर्म के मुताबिक अपनी प्रार्थना बिना किसी व्यवधान के पूरी कर सकें.
बता दें कि कुछ संगठनों और स्थानीय लोगों के विरो’ध के चलते बीते शुक्रवार को शहर में जिन 37 जगहों पर नमाज़ की अनुमति दी गई थी उनमें से कई जगहों की अनुमति को रद्द कर दिया गया है. अब सिर्फ़ 20 स्थानों पर ही खुले में नमाज़ अदा करने की अनुमति है.