पेट्रोल और डीजल के दामों में बहुत तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है. बढ़ते पेट्रोल-डीजल के दामों ने लोगों के बजट की कमर तो’ड़ कर रख दी है. पेट्रोल-डीजल की कीमतें इतनी बढ़ चुकी है कि अब यह हर किसी को बहुत ज्यादा लग रही है. अगर आपको भी यही लगता है कि तेल की कीमतें बहुत ज्यादा हो चुकी है तो यकीन मानिए आप एक गलती कर रही है. क्योंकि अभी इनकी कीमतों का बुलंदी पर पहुंचना बाकि हैं.
हम आपको ड’रा नहीं रहे है बल्कि सिर्फ बता रहे है. हम आपको बता रहे है बाजार विशेषज्ञों की राय और अनुमान. अगर विशेषज्ञों पर यकीन करें तो जल्द ही एक लीटर पेट्रोल के बदले आपको 150 रुपये चुकाने पड़ेंगे और डीजल भी पीछे नहीं रहने वाला है.
डीजल जाएगा 150 के पार?
मौजूदा समय में देश के ज्यादातर शहरों में पेट्रोल 100 से 115 रुपये प्रति लीटर के बीच चल रहा है. वहीं डीजल भी शतक लगाकर 100 के पार पहुंच चूका है. वहीं पेट्रोल-डीजल के दामों में आसमानी तेजी का यह सिलसिला अभी भी थमा नहीं है और यह आने वाले दिनों में भी नहीं थमने वाला नहीं है.
तेल के बढ़ते दामों का महंगाई पर भी होना तय है. मार्केट पर अपनी पैनी नजर बनाए रखने वाली और क्रेडिट रेटिंग करने वाली अग्रणी कंपनी गोल्डमैन सॉक्स ने एक अनुमान लगाया है. गोल्डमैन सॉक्स के अनुसार 2022 तक कच्चे तेल के दाम 110 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकते हैं.
बता दें कि अभी कच्चे तेल के दाम 85 डॉलर पर हैं तो आप ही अंदाजा लगा लीजिए कि जब इनमें 30 फीसदी तक का उछाल आएगा तो पेट्रोल डीजल के दाम कहां पहुंच जाएंगे.
इतना ही नहीं मार्केट में यह आशंका भी जताई जा रही है कि कच्चा तेल 147 डॉलर प्रति बैरल के अब तक के अपने सर्वोच्च स्तर पर भी पहुंच सकता है.
इससे पहले साल 2008 में कच्चे तेल की कीमतों में ऐतिहासिक बढ़ोत्तरी देखी जा चुकी हैं. उस समय जिस तरह के हालात बने थे और केंद्र और राज्य सरकारों ने अपने करों में कटौती करके जनता को राहत नहीं पहुंचाई होती तो पेट्रोल के दाम 150 रुपये और डीजल के 140 रुपये प्रति लीटर पर पहुंच जाते.
चुनावों के चलते मिल सकती है राहत
पिछले काफी वक्त से पेट्रोल-डीजल के दामों में तेजी देखने को मिल रही है. वहीं केंद्र और राज्य सरकारें भी करों में कटौ’ती करके राहत देते नजर नहीं आ रही है.
हालांकि अगले साल यूपी समेत देश के पांच सूबों में विधानसभा चुनावों का बिगुल बजने वाला है. मोदी सरकार के लिए 2024 के आमचुनावों से पहले यह चुनाव सेमीफाइनल की तरह होंगे. ऐसे में केंद्र या राज्यों की सरकारें करों में कटौ’ती करके जनता को राहत दे सकती है.