Beti Bachao Beti Padhao: समाज में कई दशकों पहले परिवारों को बेटे की चाह रहती थी, बेटियों को बोझ और कहीं कहीं तो श्राप तक समझा जाता था. लेकिन अब वक्त बदल चूका है आज बेटियां समाज के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है. आज बेटियां बेटे के फर्ज निभा रही है. अपने परिवार का साथ दे रही है और हर मुश्किल में उनके साथ खड़ी नजर आती है.
जब पिता पर कोई संक’ट आता है तो बेटियां उस सं’कट से टकराती हुई नजर आती हैं. ऐसा ही एक ताजा मामला राजस्थान के भरतपुर से सामने आया है, यहां अपने गरीब मजदूर पिता को सहारा देने के लिए उनकी बेटियां दूध बेचने निकल पड़ी.
बेटे का फर्ज निभा रही बेटी
परिवार को आर्थिक संक’ट से उभारने के लिए यह बेटी मोटरसाइकिल पर कैन बांधकर हर सुबह दूध बेचने जाती है और रोजाना करीब 90 लीटर दूध बेचकर लौटती है. लड़की की मेहनत ने परिवार की आर्थिक तं’गी को दूर कर दिया है.
भरतपुर के एक गांव भंडोर खुर्द में रहने वाली 19 वर्षीय नीतू शर्मा दिखने में भले ही साधारण लड़की लगे लेकिन उनकी कहानी असाधारण है और लोगों को प्रेरित करने वाली है.
नीतू शर्मा बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखती है और उनका सपना टीचर बनना है लेकिन उनके पिता के पास पैसे नहीं थे. नीतू के पिता बनवारी लाल शर्मा एक मज़दूर हैं और उनके पास बेटी की पढाई का खर्चा उठाने तक के पैसे नहीं है.
उन्होंने नीतू से कहा कि हमारी आर्थिक स्थिति ख़राब है. तब नीतू ने फैसला लिया है कि वह खुद आर्थिक तौर पर आत्मनिर्भर बनेगीं. नीतू किसी भी कीमत पर पढाई नहीं रोकने और टीचर बनने का सपना सजोकर मेहनत करने में जुट गई.
नीतू के परिवार में 5 बहने और एक भाई है. इनमें से 2 की शादी हो चुकी है. पिता एक मिल में मजदूरी करते है लेकिन उन्हें दिहाड़ी में कम ही पैसे मिलते है.
नीतू दूध बेचकर 12 हजार रूपये महिना तक कमा लेती है जिससे आज वो ना सिर्फ अपना बल्कि अपने भाई बहिनों की जिम्मेदारी भी उठा रही है.
नीतू से प्रभावित होकर उनकी छोटी बहन राधा जो 10वी में पढ़ती है, उसने परचून की दुकान शुरू की जिससे परिवार की आमदनी में इजाफ़ा हुआ.
नीतू के दिन की शुरुआत रोज़ सुबह 4 बजे होती है, वह गांव के कई किसान परिवारों के यहां से दूध इकट्ठा करती है और फिर उस 60 लीटर दूध को कैन में भरकर बाइक पर लाद अपनी बहन के साथ गांव से 5 किलोमीटर दूर शहर में जाकर बेचती है.
कड़ी मेहनत देखकर हर कोई दंग
यहां करीब 10 बजे तक दूध बांटने के बाद नीतू अपने एक रिश्तेदार के यहां पहुंच कर कपड़े बदलकर 2 घंटे की कंप्यूटर क्लास के लिए चली जाती है. क्लास के बाद 1 बजे वह गांव वापस आ जाती है.
इसके बाद वो पढ़ाई में लग जाती हैं और शाम होते ही सुबह की तरफ दुबारा लगभग 30 लीटर दूध लेकर शहर जाती है. वहीं नीतू की मेहनत और लगन को देखते हुए स्थानीय लोग उनकी मदद के लिए आगे आए है.
मामला सामने आने के बाद लूपिन संस्था के समाजसेवी सीताराम गुप्ता ने नीतू शर्मा और उनके परिवार को 15 हज़ार का चेक और नीतू को पढाई के लिए एक कंप्यूटर दिया है. नीतू ने धारा के विपरीत जाकर अपनी एक अलग पहचान कायम की है.