संसद का मानसून सत्र हंगामे की भेंट चढ़ चूका है. संसद के सत्र को समय से पहले ही खत्म कर दिया गया है. संसद में हुए हंगामे को लेकर पक्ष-विपक्ष दोनों के ही अलग-अलग दावे है. सत्तापक्ष हंगामे के लिए विपक्ष को जिम्मेदार ठहरा रहा है जबकि विपक्ष का आरोप है कि सत्तापक्ष ने जानबूझकर सत्र को सही से क्रियान्वित नहीं किया. इस मामले को लेकर लगातार आरोप-प्रत्यारोप लगाए जा रहे है.
इसी बीच इस मामले को लेकर कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) पोलित ब्यूरो बृंदा करात ने मोदी सरकार और पीएम मोदी पर निशाना साधा है. उन्होंने पीएम मोदी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि भाजपा और पीएम नरेंद्र मोदी देश की संसद को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की शाखा की तरह चलाने का प्रयास कर रहे थे.
संसद को आरएसएस शाखा बनाना चाहती है बीजेपी?
पश्चिम बंगाल से पूर्व राज्यसभा सांसद करात ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है कि वो संसद का क्रियान्वयन करें. लेकिन हाल ही में देखने को मिला है कि सत्ताधारी भारतीय जतना पार्टी संसद को आरएसएस की शाखा की तरह चलाने के प्रयास कर रही थी.
उन्होंने आगे कहा कि हम संसद के साथ ऐसा बिल्कुल नहीं होने देंगें या फिर इसे गुरुदक्षिणा के लिए ऐसी जगह नहीं बनने देंगे, जहां पीएम नरेंद्र मोदी के भाषण पर सिर्फ ताली बजे. केंद्र ने बिजनेस एजेंडा (व्यापार एजेंडा) को विपक्ष को विश्वास में लिए बिना ही अंतिम रूप दे दिया.
बहुमत का दुरुपयोग कर रही बीजेपी
बृंदा ने बीजेपी पर दोनों सदनों में बहुमत का दुरुपयोग करने का गंभीर आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि सत्ताधारी बीजेपी अपने बहुमत का दुरुपयोग करके संसद के भीतर देश के प्रमुख मुद्दों पर बहस करने की जगह विपक्ष की आवाज़ दबाने में जुटी हुई है.
उन्होंने कहा कि यह बेहद शर्मनाक है कि केंद्र ने सांसदों के साथ मारपीट करने के लिए बाहर के लोगों को मार्शल के रूप में बुलाया. बकौल करात ने कहा कि यह विपक्ष का नहीं बल्कि बीजेपी सरकार का अंहकार था जिसे संसद का कामकाज नहीं चलने के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए.
करात ने कहा कि केंद्र सरकार ने पेगासस के उपयोग पर चर्चा और अन्य अहम मुद्दों पर चर्चा की विपक्ष की मांग को आसानी से नकार दिया. अगर नरेंद्र मोदी सरकार विपक्ष की आवाज़ दबाने की कोशिश करेगी तो हम इन सभी जनकल्याण के मुद्दों को लेकर सड़क पर भी आ जाएंगे.